لمحة عن Gondi Songs & Video
गोंडी भाषा गोंड आदिवासियों की भाषा है। यह भाषा प्राचीन काल की भाषा है कहा जाता है कि जब पृथ्वी का उदगम हुआ और इस पृथ्वी पर मनुष्य जन्म हुआ तब यह भाषा का भी जन्म हुआ। सर्वप्रथम पारीकुपार लिंगो ने इस भाषा को और भी विस्तारित किया। तत्पश्चात अनेक भाषाविद महापुरूषो का इस धरती पर अवतारण हुआ और भाषा का रूपातंरण भी होता रहा है।
गोंडी ، तेलगू ، तमिल ، मलयालम ، संस्कृत ، कन्नड ، मराठी ، उडिया ، हिन्दी ، अंग्रेजी और अनेक भाषाओं का रूप धारण कर लिया। और आज इस भाषा को बोलने वाले की संख्या भारत और आस्ट्रेलिया समेत अनेक देशों में गोंडी भाषा बोलचाल के रूप में प्रयोग हो रहा है। भारत के मध्यप्रदेश ، छत्तीसगढ़ ، महाराष्ट्र ، उड़िसा ، आंध्रप्रदेश ، कर्नाटक में जनजातिय क्षेत्र में लाखों की संख्या में गोंडी भाषा को दैनिक बोलचाल के रूप में लाया जाता है। गोंडी भाषा विश्व के भाषाओं में गिनती की जाती है गोंडी भाषा का सरकारी अभिलेखों में उपयोग नहीं करने की वजह से धीरे-धीरे यह प्राचीन भाषा प्रायः विलुप्त के कगार पर खड़ी है। और धीरे-धीरे धरती की धरातल से गोंडी भाषा अब समाप्ति की ओर किन्तु इस भूभाग की भाषा की की गोंडवाना मुक्ति सेना प्रमुख दरबूसिंह ने विगत कई वर्षों से गोंडी की प्रचार-प्रसार में जुटे हुये हैं। गोंडी भाषा को गोंडी लिपि में बालाघाट जिले के भावसिंह मसराम ने वर्ष 1957 में प्रकाशित किया था उक्त लिपि को व्यापक रूप से समर्थन मिल रहा है। और जो लोग गोंडी भाषा को नहीं जान पाये थे अर्थात भूल गये थे ، अब सीखने और जानने का प्रयास कर रहे हैं।
गोंडी भाषा का एक उदाहरण:
कोयटायण खण्डाक ता नालूंग भीड़ीना नालूंग कोर।
कोयमूरी दीप ता खण्डागे उम्मो गुटटा येरगुटटा कोर।
सयमालगुटटा अयफोका गुटटा नालूं भीडी नांल्परोर ।।
डंगूर मटटांग ढोडांग वलीतार कोडापरो आसी सवार।
लिंगो बाबा नीवा जयजोहार जयजोहार जयजोहार ।।
गोंडी ، तेलगू ، तमिल ، मलयालम ، संस्कृत ، कन्नड ، मराठी ، उडिया ، हिन्दी ، अंग्रेजी और अनेक भाषाओं का रूप धारण कर लिया। और आज इस भाषा को बोलने वाले की संख्या भारत और आस्ट्रेलिया समेत अनेक देशों में गोंडी भाषा बोलचाल के रूप में प्रयोग हो रहा है। भारत के मध्यप्रदेश ، छत्तीसगढ़ ، महाराष्ट्र ، उड़िसा ، आंध्रप्रदेश ، कर्नाटक में जनजातिय क्षेत्र में लाखों की संख्या में गोंडी भाषा को दैनिक बोलचाल के रूप में लाया जाता है। गोंडी भाषा विश्व के भाषाओं में गिनती की जाती है गोंडी भाषा का सरकारी अभिलेखों में उपयोग नहीं करने की वजह से धीरे-धीरे यह प्राचीन भाषा प्रायः विलुप्त के कगार पर खड़ी है। और धीरे-धीरे धरती की धरातल से गोंडी भाषा अब समाप्ति की ओर किन्तु इस भूभाग की भाषा की की गोंडवाना मुक्ति सेना प्रमुख दरबूसिंह ने विगत कई वर्षों से गोंडी की प्रचार-प्रसार में जुटे हुये हैं। गोंडी भाषा को गोंडी लिपि में बालाघाट जिले के भावसिंह मसराम ने वर्ष 1957 में प्रकाशित किया था उक्त लिपि को व्यापक रूप से समर्थन मिल रहा है। और जो लोग गोंडी भाषा को नहीं जान पाये थे अर्थात भूल गये थे ، अब सीखने और जानने का प्रयास कर रहे हैं।
गोंडी भाषा का एक उदाहरण:
कोयटायण खण्डाक ता नालूंग भीड़ीना नालूंग कोर।
कोयमूरी दीप ता खण्डागे उम्मो गुटटा येरगुटटा कोर।
सयमालगुटटा अयफोका गुटटा नालूं भीडी नांल्परोर ।।
डंगूर मटटांग ढोडांग वलीतार कोडापरो आसी सवार।
लिंगो बाबा नीवा जयजोहार जयजोहार जयजोहार ।।
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